पारसनाथ : नक्सलियों का कभी हुआ करता था बसेरा, ईनामी मिसिर बेसरा और अजय महतो की यही हुई थी ट्रेनिंग !

धनबाद (DHANBAD) : आज की तारीख में नक्सली भागे -भागे फिर रहे हैं और सुरक्षा बल के जवान उन्हें रगेद रहे है. बिहार के समय नक्सलवाद की जड़े गिरिडीह -धनबाद के सीमाई इलाके में गहरी हुई थी, पारसनाथ पहाड़ की तराई में नक्सलियों का दस्ता तैयार हुआ था. आज यह पारसनाथ नक्सलियों के लिए अब सुरक्षित ठिकाना नहीं रह गया है. पारसनाथ की तराई से निकल ही कई नक्सली भाकपा माओवादी जैसे नक्सली संगठन के शीर्ष पर पहुंचे. आज पारसनाथ का तराई इलाका सुनसान पड़ा है. एक समय में नक्सलियों का यह सबसे सुरक्षित ठिकाना हुआ करता था. अर्द्ध सुरक्षा बल और पुलिस की कार्रवाई की वजह से कई माओवादी पकड़े गए, कई मारे गए. फिलहाल इस तराई से निकले बड़े नक्सली क्षेत्र में नहीं दिख रहे है.
सुरक्षा बल लगातार चला रहे सर्च अभियान
सुरक्षा बल लगातार इस इलाके में सर्च अभियान चला रहे है. यह अभियान लगातार जारी है. झारखंड सरकार ने भाकपा माओवादी के जिन पांच नक्सलियों पर एक-एक करोड़ का इनाम रखा है, उनमें से तीन इसी इलाके के बताए जाते है. इन तीनों में से एक प्रयाग मांझी उर्फ़ विवेक पिछले दिनों मुठभेड़ में मारा गया था. विवेक धनबाद के टुंडी के दहुआटांड़ का रहने वाला था. इसके अलावा इनामी नक्सली मिसिर बेसरा गिरिडीह जिले के पीरटांड़ का रहने वाला है. लेकिन वह भी भागा -भागा फिर रहा है. पारसनाथ तराई में दो दशक पहले तक नक्सलवाद पूरी तरह से हावी था. यहां संगठन को मजबूत करने के लिए कई लोग लगे रहे. अजय महतो ने भी यही ट्रेनिंग ली थी.
प्रयाग मांझी की पत्नी जया का भी हो गया है निधन
प्रयाग मांझी की पत्नी जया का भी नाम लिया जाता है. असाध्य बीमारी की वजह से जया की मौत हो गई है. अजय महतो भी पीरटांड़ का ही रहने वाला है. लेकिन उसकी अब इलाके में गतिविधियां बहुत कम हो गई है. जानकार बताते हैं कि नक्सली पहले भी पकड़े जाते रहे हैं, लेकिन पिछले 5-6 वर्षों में नक्सलवाद पर कड़ा प्रहार हुआ है. टॉप नक्सली पकड़े गए अथवा मारे गए. पारसनाथ और झुमरा में कई बड़े ऑपरेशन हुए. जिनमें पुलिस को सफलता भी मिली. पुलिस को सबसे बड़ी सफलता 20 अप्रैल को बोकारो में मिली. यहां मुठभेड़ में आठ टॉप नक्सली मारे गए. मारे गए नक्सली में प्रयाग मांझी भी शामिल था.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
4+