Tribal Food: झारखंडी खान-पान को मिल रही पहचान, जानिए क्या है इसमें खास

रांची(RANCHI): झारखंड में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन किया गया है. जहां ट्राईबल फूड के भी कई स्टाल लगाए गए हैं. यह ट्राइबल फूड से आदिवासी की खान-पान को एक पहचान भी मिल रही है और आदिवासी खानपान से वर्तमान पीढ़ी रूबरू हो रहे हैं. दरअसल इस आदिवासी दिवस महोत्सव में कई पसंदीदा फूड आइटम धुस्का, छिलका रोटी, पत्ता पीट्ठा, मडवा रोटी और रुगडा की सब्जी के साथ कई तरह के व्यंजन की स्टाल लगाए गए हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे है. आदिवासी महोत्सव में सभी को मौका मिल रहा है कि वह झारखंड की परंपरा खान-पान को टेस्ट कर सके.
उबाल और भाप कर तैयार किया जाता व्यंजन
दरअसल 32 जनजातिय झारखंड में निवास करते हैं. इन जनजातियों की खान-पान रहन-सहन सभी को आदिवासी दिवस के जरिए दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं झारखंड की खानपान आदिवासियों को अलग करता है यहां के भजन और खाना पकाने का तरीका एकदम अलग है. आदिवासी महिलाएं चूल्हा में मिट्टी के बर्तन में खाना पकाती है जो टेस्ट के साथ काफी हेल्दी होता हैं. आदिवासी महोत्सव दिवस में कई ऐसे व्यंजन की स्टोर लगाए गए हैं जहां धीमी आज और कम तेल का इस्तेमाल कर खाना पकाया जा रहा है, कई सारे ऐसे व्यंजन है जिसे उबालकर और भाप कर तैयार किया जाता है.
कई लोगों को झारखंडी डिश के बारे में नही है जानकारी
वहीं जब हमारी टीम द न्यूज़ पोस्ट ने खाना बना रही आदिवासी महिला से बात की तो, उन्होंने कहा कि झारखंडी व्यंजन में कम तेल और मसाले डाले जाते हैं, जो सेहत के साथ फायदेमंद साबित होता हैं. उन्होंने बताया कि लोगों को हेल्थ से जुड़े कई समस्या आती रहती है, वे डॉक्टर के पास जाते है और हजारों की बिल बनवाकर वापस आ जाते हैं. लेकिन अगर लोग अपनी खान-पान में ध्यान दे और अपनी सस्कृति व्यंजन अपनाए तो, डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्होंने कहा कि हमारे स्टॉल में कई ऐसे लोग आ रहे हैं, जिन्हें झारखंडी डिश के बारे में जानकारी नहीं है. लोगों को बता कर टेस्ट करवाया जा रहा है, जिसके बाद रिस्पांस अच्छा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि आदिवासी महोत्सव दिवस में झारखंड के संस्कृति के साथ खान-पान को भी एक पहचान दी जा रही है.
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