सम्मेद शिखरजी विवाद: सीएम हेमंत ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री को लिखा पत्र, पर्यटन स्थल की सूची से सम्मेद शिखरजी को हटाने का किया आग्रह

टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड के पारसनाथ में स्थित जैन धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र तीर्थस्थान श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने से पूरे देश भर के जैन समाज के लोग आक्रोशित हैं. लगातार इसे लेकर विरोध हो रहा है. झारखंड सरकार पर भी लोग और विपक्ष हमलावर हैं. वहीं झारखंड सरकार इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेवार मान रही है. इसी कड़ी में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव को पत्र लिखा है और इस स्थल को पर्यटन स्थल से हटाने की गुजारिश की है.
“इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध”
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि झारखण्ड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है. पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जारी किया गया है. इसके अतिरिक्त इस स्थल के समुचित विकास और इस क्षेत्र में व्यावसायिक क्रियाकलापों के विनियमन के लिए राज्य सरकार द्वारा सचिव, पर्यटन की अध्यक्षता में पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है जिसमें 6 गैर सरकारी निदेशकों को भी सदस्य बनाया जाना है. उक्त प्राधिकार में गैर सरकारी निदेशकों के चयन की कार्रवाई चल रही है. इस प्राधिकार के कार्यकारी हो जाने से यहां आने वाले धार्मिक श्रद्धालुओं के धार्मिक भावना के अनुसार इस क्षेत्र की व्यावसायिक गतिविधियों का विनियमन हो सकेगा. वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा उक्त स्थल की पवित्रता और सुचिता को बनाये रखने के लिए गिरिडीह जिला के जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी किया गया है तथा जारी किये गये निर्देश के आलोक में इस स्थल पर पुलिस गश्ती बढ़ाते हुए इस स्थल की पवित्रता और सुचिता को बनाये रखना सुनिश्चित किया गया है.
केंद्र सरकार के अधिसूचना का उल्लेख
सीएम ने आगे लिखा कि वर्तमान में कई जैन अनुयायियों से इस स्थल की पवित्रता व सुचिता बनाये रखने और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं. इस अधिसूचना के कंडिका 2.3(VI) और कंडिका 3(3) में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख है जिसपर जैन समुदाय को आपत्ति होने का उल्लेख प्राप्त आवेदनों में दर्ज है. राज्य सरकार जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं का संपूर्ण सम्मान करती है और उक्त स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है. इसलिए उक्त अधिसूचना के कंडिका 2.3(VI) और कंडिका 3(3) के क्रियान्वयन के निमित्त राज्य सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.
इसके आगे सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि इसे निरस्त करने को लेकर कोई भी कार्रवाई भारत सरकार के द्वारा ही की जा सकती है. इसलिए इस संदर्भ में उन्होंने केन्द्रीय मंत्री ने निर्णय लेने का आग्रह किया है.
जानिए क्या है विवाद की वजह
बता दें कि कुछ दिनों पहले सम्मेद शिखर के आसपास का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ युवक शराब पीते हुए मस्ती करते नजर आ रहे थे. इसके बाद से ही जैन धर्मावलंबियों का विरोध और मामले को लेकर विवाद शुरू हो गया था. मालूम हो कि सम्मेद शिखर के आसपास के इलाके में मांस-मदिरा की खरीदी-बिक्री और सेवन प्रतिबंधित है. बावजूद इसके सम्मेद शिखर के आस पास कुछ दिन पहले शराब पीते युवक का वीडियो वायरल हुआ था. धर्मस्थल से जुड़े लोगों का मानना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद से जैन धर्म का पालन नहीं करने वाले लोगों की भीड़ यहां बढ़ी. यहां मांस-मदिरा का सेवन करने वाले लोग आने लगे. इसे लेकर पूरा विवाद शुरू हुआ. जिसके बाद इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित होने का विरोध होने लगा.
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